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स्व प्न रं जि ता: April 2015
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शनिवार, 18 अप्रैल 2015. तुम सुंदर हो ।. तुम सुंदर, तुमसे. जग सुंदर. इस जग की सब बातें सुंदर. नदिया, पर्वत, बादल सुंदर. पशु, पक्षी और जंगल सुंदर. सागर, बालू, सीपी सुंदर. लहरातीं फसलें सुंदर. इस धरती की गोदी सुंदर. और आसमान की छत सुंदर. चंदा, तारे, बादल सुंदर. सूरज की किरणें सुंदर. बारिश की बूंदे सुंदर. पवन के झकोरे सुंदर. बिजली की चमकारें सुंदर. बादल की गड गड सुंदर. शांत रूप सुंदर. रौद्र रूप भी तो सुंदर. मै भी सुंदर, वह भी सुंदरं. तेरा प्रकाश सबके अंदर. हरलो मानव मन की कालिख. Links to this post.
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स्व प्न रं जि ता: March 2015
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शुक्रवार, 27 मार्च 2015. जनम हुवा राम का. पवित्र अति मास चैत्र , शुध्द नवमी की तिथी,. समय मध्यान्ह का, ना शीत ऊष्ण ना अति,. शीतल, सुगंधी पवन, मुक्त चहुं दिशि विचरता. जनम हुवा राम का, जनम हुवा राम का।. अयोध्या है हुई धन्य, कौशल्या तृप्त नयन,. दशरथ अति आनंदित,पुलकित रोमांचित तन. नया नया शिशु रुदन, रनिवास में गूंजता. जनम हुवा राम का. सुहागिने चलीं लेकर जल कलश, थाल स्वर्ण. वाद्य मंगल बजते, गूंजते शगुन गान. आनंदित अवधपुरी, सरयू का जल महका. जनम हुवा राम का. जनम हुवा राम का. Links to this post. पाल लí...
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काश मैं भी बाबा होता | Khyalat
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16 ट प पण य. जब बनन क ल य बह त क छ ह त ब ब क य? चल य आप क बत द त ह क म ब ब ह क य बनन च हत ह? आप क पत भ नह चल ग क कब आपक प स बड़ -बड़ आश रम आ ज य ग , आपक आव गमन क ल य नय -नय व हन उपलब ध ह ज य ग , अथ ह प स आपक न म स ब क म जम ह ज य ग यह तक क आपक कह आन -ज न क ल य भ ढ र स र प स म ल ग. त आप ह बत ईय क अगर म ब ब बनन च हत ह त इसम गलत क य ह? भ ई म झ त इतन फ यद और क स व यवस य य न कर म नज़र नह आत अगर आपक आत ह त म झ जर र बत न तब तक म भगव न क मन त ह क व म झ ब ब बन द और क स अच छ स ब ब क ख जकर उनस क छ ग र स ख ल त ह. प रय स...
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मेरे सपनों की दुनिया: August 2011
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मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Thursday, August 11, 2011. क्षणिकाएं. पतझड़ का मौसम. महकते जीवन में,. बरसों से तेरी चाहत ने. तेरी यादों ने,. खिलाये कई फूल गुलमोहर के. आज तू नहीं,. तेरी चाह नहीं,. तेरी याद नहीं,. तेरे ख़्वाब नहीं. ज़िंदगी भी बस यूँ ही. धीरे-धीरे कट रही है ऐसे,. जिसे देख कर. कोई भी कह दे कि. बिखर गए हैं. फूल गुलमोहर के. और आ गया है. मेरे जीवन में. पतझड़ का मौसम. अधूरी तस्वीर. कहीं से. एक और रंग मिल जाये,. तो बरसों से. अधूरी रही ये तस्वीर. बदले हुए रंग से. और फिर,. उस मौन पड़ी. वो ...
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स्व प्न रं जि ता: December 2013
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शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013. दर्द इतना बढा. दर्द इतना बढा सम्हाला न गया,. लाख चाहा मगर छुपाया न गया।. जाम आंखों के जो छलकने को हुए,. बहते अश्कों को फिर रुकाया न गया।. जख्म इतने दिये जमाने ने,. हम से मरहम भी लगाया न गया।. कोशिशें लाख कीं मगर फिर भी,. उनको आना न था, आया न गया।. ऊपरी तौर पे सब ठीक ही लगता लेकिन,. हाल अंदर का कुछ बताया न गया।. हम चल देंगे यकायक कि खाट तोडेंगे,. किसने जाना, किसी से जाना न गया।. जिंदगी का आज ये पल सच्चा है. इससे आगे. को कुछ विचारा न गया।. Links to this post. नई पोस्ट.
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स्व प्न रं जि ता: December 2014
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बुधवार, 31 दिसंबर 2014. शुभ नववर्ष. खुल रही है एक नई किताब जिसका हर सफा है कोरा,. लिखना है हमें ही इसमें हर दिन का हिसाब हमारा।. कितनी की मक्कारियाँ कितने बोले झूठ. कितनों को लगाया चूना, किस पेड को बनाया ठूँठ।. कितनी फैलायी गंदगी नजरें सबकी बचाके,. कितने तोडे वादे, झूटे बहाने बनाके. कितना किया अपमान सज्जनों का. कितना निभाया साथ दुर्जनों का. क्या यही सब लिखना है इसमें,. और अंत में रोना पडेगा. या कि फिर हम चुनेंगे इक नई राह. जिस पर चल कर सुख मिलेगा।. और हमारे साथ सब आयें।. शुभ नव वर्ष।. Links to this post.
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स्व प्न रं जि ता: July 2014
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शनिवार, 26 जुलाई 2014. धुंधली सी उम्मीद. राह खत्म है फिर भी चल रहा हूँ मै. कागज़ नही पर शब्द ही छलका रहा हूँ मै।. आँखों के आँसू सूख गये बडे दिन हुए,. दिल में कहीं नमी की, खोज में रहा हूँ मैं. कैसे कोई किसी से इतनी बेरुखी करे,. सवाल का जवाब नही पा रहा हूँ मै।. मैने तो अपनी ओर से कोशिश भी की बहुत,. उस बंद दर को कहाँ खुलवा सका हूँ मै।. एक धुंधली सी उम्मीद कि शायद खुलेगी राह,. इसी आस को दिल में बसाये जा रहा हूँ मै. चित्र गूगल से साभार।. Links to this post. Labels: कविता. नई पोस्ट. चर्चामंच.
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मेरे सपनों की दुनिया: July 2011
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मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Sunday, July 24, 2011. तुम्हारी अभिलाषा. तुम्हारे सिवा बाकि नहीं रही. मेरी कोई और अभिलाषा. मेरे सपनों की कल्पना भी जैसे. दूर तक भटकने के बाद,. तुम पर ही आकर ठहर सी गयी है. शायद तुम्हारा स्पर्श ही. मेरे सपनों को यथार्थ बनाता है. मेरे जीवन-संगीत का सुर भी. तुम्हें सोच कर, तुम्हें चाह कर. छेड़ देता है एक मधुर तान. शायद तुम्हारा ख्याल ही मेरे. सुरों को संगीत देता है. और मेरे जीवन को झंकृत करता है. सावन में बरसता रिमझिम पानी,. जैसे पल भर में. मिताली. अनामिक...ओ रे...
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मेरे सपनों की दुनिया: May 2013
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मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Wednesday, May 8, 2013. यादों की पोटली . चुन-चुन कर मैंने. समेट लिया. तुम्हारी यादों का कारवाँ. और बना ली एक पोटली . दिल की ना सुन कर. लगाया जोर दिमाग पर. कि कहीं कोई याद. बाकी तो ना रह गयी . दिमाग ने भी चुपचाप. लगा दी मुहर. और मार दिया ताना. मुझ पर हँसते हुए. कि 'सब समेटने के बाद. कुछ भी बिखरा नहीं रहता-. ओ पागल लड़की' . अब बस मैं थी, तन्हाई थी,. और थी मेरी नज़रों के सामने. तुम्हारी यादों की पोटली,. तुम्हारे दिए हुए. कभी मैं देखती. कभी महसूस करती. ऐसा लगा. तुम&...
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मेरे सपनों की दुनिया: May 2011
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मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Sunday, May 8, 2011. माँ,. एक ऐसा शब्द. जो समेटे है अपने आप में एक दुनिया,. जो बाँट दे निःस्वार्थ भाव से सारी खुशियाँ. माँ,. एक ऐसा शब्द. जो है सहनशीलता की निशानी,. झेलती आई है पीड़ा सदियों पुरानी. हर इंसान का अस्तित्व माँ ने बनाया है,. फिर क्यों इंसान. अपनी माँ को ही छलता आया है? लोगों की इस भीड़ में,. दुनिया की इस लडाई में,. अपनी माँ को ही भुलाता आया है. और अपनी हर गलती के लिए,. माँ को ही रुलाता आया है. फिर भी. पर हमेशा खुश रहती है. पर क्यों,. Tuesday, May 3, 2011.
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