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अंदाज़े ग़ाफ़िल: November 2015
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. रविवार, नवंबर 29, 2015. लगे क्यूँ मगर हम अकेले बहुत हैं. अगर देखिएगा तो चेहरे बहुत हैं. लगे क्यूँ मगर हम अकेले बहुत हैं. चलो इश्क़ की राह में चलके हमको. ये माना के है ख़ूबसूरत जवानी. मुसाफ़ात=दोस्ती. 8216;ग़ाफ़िल’. 1 टिप्पणी:. चन्द्र भ...इसे...
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अंदाज़े ग़ाफ़िल: January 2017
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. सोमवार, जनवरी 30, 2017. थोड़ी अलसाई दोपहरी. कुछ नीली कुछ पीली गहरी. मुझको अपने पास बुलाए. कुछ भी समझ न आए, हाए! लता विटप सी लिपटी तन पर. अधरों को धरि मम अधरन पर. कामिनि जिमि नहिं तनिक लजाए. कुछ भी समझ न आए, हाए! 8216;ग़ाफ़िल’. बुधवार,...लज़्...
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अंदाज़े ग़ाफ़िल: November 2016
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. सोमवार, नवंबर 28, 2016. वक़्त गुज़रा तो नहीं लौट कर आने वाला. बात क्या है के बना प्यार जताने वाला. घाव सीने में कभी था जो लगाने वाला. काश जाता न कभी याँ से हर आने वाला. 8216;ग़ाफ़िल’. 2 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. Labels: ग़ज़ल. आईने कì...
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अंदाज़े ग़ाफ़िल: July 2016
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. शनिवार, जुलाई 30, 2016. मगर जाता है. क्यूँ बताता है नहीं दोस्त किधर जाता है. और जाता है तो किस यार के घर जाता है. पास आ मेरे सनम जा न कहीं आज की रात. हूक उट्ठे है वो शब वस्ल की याद आए है जब. 8216;ग़ाफ़िल’. 1 टिप्पणी:. Labels: ग़ज़ल. Twitter पर स...
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अंदाज़े ग़ाफ़िल: March 2016
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. बुधवार, मार्च 30, 2016. उसे हूर मिलती है बैठे बिठाए. गली में तेरी शख़्स जो मार खाए. सनद मिल गयी जूँ वो आशिक़ कहाए. चलो कुछ हुआ तो मुहब्बत से हासिल. सनम बेवफ़ा है यही जान पाए. चला जा रहा यूँ क़दम जो बढ़ाए. 8216;ग़ाफ़िल’. 8216;ग़ाफ़िल’. मार खा...
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अंदाज़े ग़ाफ़िल: July 2015
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. शुक्रवार, जुलाई 31, 2015. आप बन ठनके जो निकलते हैं. आप बन ठनके जो निकलते हैं. यूँ भी सौ आफ़्ताब जलते हैं. अब्र शर्माए सिमट जाए जब. ज़ुल्फ़ लहराके आप चलते हैं. जाम आँखों का आपकी पीकर. लोग बदनाम ही किए फिर भी. 8216;ग़ाफ़िल’. Labels: ग़ज़ल. इसे ...
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अंदाज़े ग़ाफ़िल: September 2015
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. मंगलवार, सितंबर 29, 2015. कोई अश्कों से धोए जा रहा रुख़सार जाने क्यूँ. दिखे हैं और मेरी मौत के आसार जाने क्यूँ. बड़े बनते मुसन्निफ़ सब, कहो तो मौत लिख डालें. 8216;ग़ाफ़िल’. 5 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. Twitter पर साझा करें. इसे ब्ल&#...Twitter प...
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अंदाज़े ग़ाफ़िल: September 2016
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. गुरुवार, सितंबर 29, 2016. तुह्मत तो लाजवाब मिले, होश में हूँ मैं. मुझको तो अब शराब मिले, होश में हूँ मैं. और वह भी बेहिसाब मिले, होश में हूँ मैं. अर्ज़ी मेरी क़ुबूल हो उल्फ़त की आज ही. 8216;ग़ाफ़िल’. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. Facebook पर साझ...
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अंदाज़े ग़ाफ़िल: April 2016
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कुछ अधूरा सा. कुण्डलियां. क्षणिकाएँ. रुबाइयाँ. शब्बाख़ैर! शुभकामना. सुप्रभात! हास्य-व्यंग्य. ग़फ़लतों की दुनिया. Kd10 से यूनिकोड. बेसुरम्. फ़ेसबुक पर अनुसरण करें-. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’. मेरे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ. क्लिक करें. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. बुधवार, अप्रैल 27, 2016. घाटियों में मुझे उतरना है. ज़िन्दगी में जो मेरे लफड़ा है. रहमतों से तुम्हारे पैदा है. वक़्त कोई बुरा नहीं होता. मान जाओ जो यह तो अच्छा है. बस रक़ाबत तुम्हारा पेशा है. 8216;ग़ाफ़िल’. इसे ईमेल करें. Labels: ग़ज़ल. 2309;ब...