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तकनीकी दस्तक: June 2009
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तकनीकी दस्तक. पहला पन्ना. गीतों की महफिल. 2405;दस्तक॥. रेडियोनामा. चिट्ठाजगत. ब्लॉगवाणी. यह मैं हूँ. मैं हैदराबाद में रहता हूँ, हिन्दी के पुराने गाने सुनना और पढ़ना लिखना बहुत पसन्द है। मेरे चिट्ठे हैं ॥दस्तक॥. और गीतो की महफिल. और तकनीकी दस्तक. और जानें. पिछली प्रविष्टिय़ाँ. पोस्ट के लिंक को नई विन्डो में खोलें. पसंदीदा चिट्ठे. ई- पण्डित. गीतों की महफिल. फुरसतिया. अनिल रघुराज की डायरी. काकेश की कतरनें. जीतू का पन्ना. जो डॉ सुनील ही कह सके. अंकुर गुप्ता. रवि रतलामी. 2405;दस्तक॥. सीधी कड़ी. 160; ...160;...
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श्रोता बिरादरी: मेरी उमर से लम्बी हो गईं,बैरन रात जुदाई की
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2405;यूनुस खान की - रेडियोवाणी॥. 2405;सागर नाहर की गीतों की महफिल॥. 2405;संजय पटेल की सुरपेटी॥. लता स्वर उत्सव. श्रोता बिरादरी. यूनुस खान, संजय पटेल, सागर नाहर. Translate this Blog in English. कुछ संगीतमय चिट्ठे. जोगलिखी संजय पटेल की. रेडियोवाणी. रेडियोनामा. गीतों की महफिल. एक शाम मेरे नाम. पारुल की सरगम. किस से कहें. एक डॉक्टर की डायरी. कहाँ से पधारे आप. वाद- संवाद. दोस्तों की दुनियाँ. Tuesday, September 27, 2011. लता तिरासी और तिरासी अमर गीत:. फ़िल्म : सोसायटी. वर्ष : १९५५. September 28, 2011 at 8:07 AM.
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सुर-पेटी: 8/1/10
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सुर-पेटी. कानों में क्या पड़ गई नग़्मे की चार बूँद.आँखों के ख़ार कितने बहकर निकल गए. Sunday, August 8, 2010. मोरा अंग अंग रंगा क्यों रसिया-पीनाज़ मसानी. संजय पटेल. पीनाज़ मसानी. सुगम संगीत. Subscribe to: Posts (Atom). भले पधारो! सुरीली बिछात पर स्वागत है! सुर पेटी का मशालची. मोरा अंग अंग रंगा क्यों रसिया-पीनाज़ मसानी. मनचाहे शब्द-स्वर. कबाड़खाना. गीतों की महफिल. रेडियो वाणी. रेडियोनामा. मोहल्ला. जोग लिखी संजय पटेल की. किस से कहें? श्रोता बिरादरी. Picture Window template. Powered by Blogger.
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दिलीप के दिल से: January 2010
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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Monday, January 18, 2010. है दुनिया उसीकी,ज़माना उसीका. ओ पी नय्यर और रफ़ी का दर्द में डूबा हुआ एक कालजयी गीत. आज लगभग एक महिना होने आया, आपसे मुखातिब नहीं हो पाया. मेरी पसंद के दो महानतम दर्द भरे गानों की फ़ेहरिस्त में आपके दो गानें है:. चैन से हमको कभी . और. है दुनिया उसीकी, ज़माना उसीका. दिलीप कवठेकर. Labels: ओ.पी.नय्यर. दिलीप के दिल से. मोहम्मद रफ़ी. Subscribe to: Posts (Atom). ताऊ द्वारा सन्मान! ताऊ पहेली-48. के विजेता. ताऊ डाट इन. अल्...
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दिलीप के दिल से: May 2010
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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Sunday, May 23, 2010. अद्बुत , अद्भुत और अद्भुत . मुकुल शिवपुत्र - कुमार जी गंधर्व के पुत्र. जो अपने दम पर खुद एक बेहद ही उम्दा ,ऊंचे पाये के कसे हुए गायक हैं.शायद आपमें से काफ़ी लोग उनके बारे में जानते भी होंगे. मैंने कहा कि मैं भला ताऊ के आदेश का पालन नहीं करने की हिमाकत कर सकता हूं? आप और मुकुल शिवपुत्र. दिलीप कवठेकर. Labels: कुमार गंधर्व. Saturday, May 1, 2010. ये बात तो पक्की है, कि इतने दिन...कितनी बार आपसे वाद...मगर क्या कर...मगर जब जब...
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Tuesday, May 18, 2010. उनकी शादी में जब बैन्डबाजे वालों ने उन्ही की फ़िल्म की धुन बजाई. ये कौन खुली अपनी दुकाँ छोड़ गया है'.अपने एक शेर में ऐसा कहने वाले जाने-माने संगीतकार नौशाद पाँच मई 2006 को इस दुनिया को अलविदा कह गए. मुलाहिज़ा फ़रमाइये उनकी लिखी ग़ज़लों के अशाअर:. दुनिया कहीं बनती मिटती ज़रूर है. परदे के पीछे कोई न कोई ज़रूर है. जाते हैं लोग जा के फ़िर आते नहीं कभी. दीवार के उधर कोई बस्ती ज़रूर है. मुमकिन नहीं कि दर्द - ए - मुहब्बत अयाँ न हो. ये कौन मेरे घर आया था. नौशाद उनकी बज़्म म&#...कैसे बच&#...ये ...
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दिलीप के दिल से: August 2009
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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Friday, August 28, 2009. अपने अपने ग़म के फ़सानों का तसव्वूर - मुकेश के गीत ( पुण्य तिथी पर विशेष). कल स्व. मुकेश जी की पुण्य तिथी थी. मगर फ़िर कई संगीत प्रेमी और कानसेन ये भी लिखते हैं कि उनकी तमन्ना थी कि मैं अपना भी कोई गीत सुनवाता. फ़रीश्तों की नगरी में मैं आ गया हूं,. ये रानाईयां, देख चकरा गया हूं. तो अब आपके प्यार और लाड दुलार की ही तो दरकार है. सारंगा तेरी याद में,. नैन हुए बेचैन, ओ ss,. मन दौडने लगता है. दिलीप कवठेकर. Labels: मुकेश. अब इस ग...
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दिलीप के दिल से: September 2010
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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Monday, September 13, 2010. यही वो जगह है, यहीं पर कभी हमने आपके सामने गाया था. याद पडता है कि किशोर दा गाना गा रहे थे आशाजी का, जो दूरी के वजह से ठीक से सुनाई नही पड रहा था. गाना था. यही वो जगह है ,यही वो फ़िज़ाएं, यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे. रब की मर्ज़ी). यही वो जगह है, जहां कभी हमने आपके सामने गाया था. दिलीप कवठेकर. Labels: अल्पना वर्मा. आशा भोंसले. किशोर कुमार. मोहम्मद रफ़ी. Subscribe to: Posts (Atom). ताऊ पहेली-48. ताऊ डाट इन. कमज़í...
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दिलीप के दिल से: December 2009
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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Sunday, December 20, 2009. राज कपूर और शैलेंद्र. दोस्त दोस्त ना रहा. दोस्त दोस्त ना रहा. दिलीप कवठेकर. Labels: दिलीप के दिल से. राज कपूर. शंकर जयकिशन. शैलेंद्र. Friday, December 4, 2009. सुन मेरे बंधू रे, सुन मेरे मितवा, सुन मेरे साथी रे. आज फ़िर इच्छा हो रही है कि उनकी आवाज़ में भी एक गीत गाऊं -. सुन मेरे बंधू रे, सुन मेरे मितवा, सुन मेरे साथी रे. दिलीप कवठेकर. Labels: गुरुदत्त. दिलीप के दिल से. सचिन देव बर्मन. Subscribe to: Posts (Atom). अल्&#...
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