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क्या सीन है!: November 2010
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क्या सीन है! आंखे खोलिए, देखिए और गुनिये! शुक्रवार, नवंबर 26, 2010. भला कोई देता है जूते से श्रद्धांजलि! मैं तो भैया निरुत्तर था. मैंने कहा- बेटा कोई बात नहीं, तुम इस बहस में पड़ ही क्यों रहे हो, नहीं अच्छा लग रहा तो- CHANGE THE CHANNEL! प्रस्तुतकर्ता. कुमार विनोद. शुक्रवार, नवंबर 26, 2010. प्रतिक्रियाएँ:. 2 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. सोमवार, नवंबर 15, 2010. कुमार विनोद. देखिगा. सदस्यता...
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क्या सीन है!: July 2014
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क्या सीन है! आंखे खोलिए, देखिए और गुनिये! शुक्रवार, जुलाई 25, 2014. इतने अरसा बाद अपने पेज़ पर लौटना! चित्र- वेब सर्च). प्रस्तुतकर्ता. कुमार विनोद. शुक्रवार, जुलाई 25, 2014. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). आओ चले एक राह पर. KSH IN YOUR TOUNGE. Read in your own script. हम कहें,आप जानें. कुमार विनोद.
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क्या सीन है!: May 2010
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क्या सीन है! आंखे खोलिए, देखिए और गुनिये! सोमवार, मई 24, 2010. तपिश में बारिशों के अरमान. बारिश के लिय़े टोटके के. रूप में मेरी सलाह तो यही है कि-. एक बार 'उनकी' जुल्फों को उड़ाकर देखिए. तपती हथेलियों पर बूंदों की रिमझिम तय है. फसाना लगे तो माफ कीजिएगा. दिल बहलाने के अफसाने ऐसे ही हसीन होते हैं. जाने क्यों ख्वाब में सजे. कांटे भी फूलों से गुलजार लगते हैं. अफसानों में आपने कालीदास के. मेघों को महबूब मैसेज पहुंचाते देख रखा है. तो उनके जुल्फों के कहने पर. लबों पे अपने एक बार. सोमवार, मई 24, 2010.
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क्या सीन है!: May 2009
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क्या सीन है! आंखे खोलिए, देखिए और गुनिये! रविवार, मई 24, 2009. अब ठाकरे खोदेंगे उत्तर भारतीयों की कब्र! खुद बाल ठाकरे की कब्र (सियासी). देखिए कैसे ललकार रहे हैं ठाकरे। अब बताइए भला, कौन आंख उठाकर देख रहा है मराठियों की तरफ? प्रस्तुतकर्ता. कुमार विनोद. रविवार, मई 24, 2009. प्रतिक्रियाएँ:. 2 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. शनिवार, मई 23, 2009. प्रस्तुतकर्ता. कुमार विनोद. शनिवार, मई 23, 2009. एक दूस...
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क्या सीन है!: November 2009
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क्या सीन है! आंखे खोलिए, देखिए और गुनिये! रविवार, नवंबर 29, 2009. लो, अब झेलो 'बैताल बे-अदब'* को. जब से हुए हैं जिल्ल-ए-सुब्हानी मेरे खिलाफ. मुंसिफ मेरे खिलाफ, गवाही मेरे खिलाफ. मेरी तो एक बात भी पहुंची न उसके पास. उसने तो जो सुना, सुना ही मेरे खिलाफ. इस बार आसमां वाले भी मेरे खिलाफ हैं. ये शहरवाले तो पहले से ही थे खिलाफ. मियां, जिस दिन अकबर जैसी हैसियत हुई, आपको दरबार का रत्न बना कर रख लेंगे. जरा मुजाहिरा किजिए. जो तारीख(26/11) से तीन दिन पहले ही हमले...तारीख के मुताब&...कल तक लाचार थ&#...ये ...
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क्या सीन है!: March 2010
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क्या सीन है! आंखे खोलिए, देखिए और गुनिये! शुक्रवार, मार्च 12, 2010. बड़ा सख्त आदेश है! चित्र-एम वुवेरकर जी की स्केच से. हमारी सुबह रात ग्यारह बजे शुरु होती है. सो कुछ देर के लिए आप मुझे अपने विपरीत समझिए. दिन में स्कूल जाते अपने जिगर के टुकड़ों. उनकी सुबह उठने की कमसिन सी मुश्किलों. उन्हें उनींदी आखों से नहाते, खाते, पहनते, तैयार होते देखते. बार बार घड़ी देखते, हर बस की सीटी पर उन्हें चहकते. उनकी शहद घोलती जुबान से. बाय पापा! जमाना हो गया है जिसे. बात ऑफिस की है. भाड में जाएं. मैं तो ब&...इस बात क&...
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क्या सीन है!: February 2012
http://kyascenehai.blogspot.com/2012_02_01_archive.html
क्या सीन है! आंखे खोलिए, देखिए और गुनिये! बुधवार, फ़रवरी 15, 2012. Lamhon Ke Jharokhe Se.: मेरा कुछ सामान! Lamhon Ke Jharokhe Se.: मेरा कुछ सामान! प्रस्तुतकर्ता. कुमार विनोद. बुधवार, फ़रवरी 15, 2012. प्रतिक्रियाएँ:. 2 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). आओ चले एक राह पर. KSH IN YOUR TOUNGE. Read in your own script. अंक गुरु.
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क्या सीन है!: April 2010
http://kyascenehai.blogspot.com/2010_04_01_archive.html
क्या सीन है! आंखे खोलिए, देखिए और गुनिये! शुक्रवार, अप्रैल 23, 2010. नई-पुरानी के बीच 'सेकेंडहैंड' सोच. किसको नई कहूं. किसको पुरानी. कई बार बेमानी लगती हैं. पुरानी भी. बिकने को बेकरार. बाजारु उसूलों के बीच. नए पुराने का. क्या घनचक्कर बन जाता है. कभी सवाल. पहली आंखो देखी का होता है. जो पहले आई. पुरानी तो वही होती है. जो बाद में आए. नई तो वही कही जाती है. कभी सवाल होता है. पहले अंतःप्रवेश का. पहली का बंधन. पहली पहली बार बंधा था. उसके लिए मैं पहला. मेरे लिए वो पहली. नई पर बादवाली का. न्यूज र...जान...