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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: हज़रत अली / जन्म दिवस [26 जून 2010 / तेरह रजब 1431 हि0]पर विशेष
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Saturday, June 26, 2010. हज़रत अली / जन्म दिवस [26 जून 2010 / तेरह रजब 1431 हि0]पर विशेष. गाह बेगाह कर अली ख़्वानी।. है अली दानी ही ख़ुदा दानी॥. फ़र्शे राहे अली कर आँखों को।. यूँ बिछा तू बिसाते ईमानी ॥. है वही मेह्र चर्ख़े-इरफ़ाँ का ।. हम अली को ख़ुदा नहीं जाना ।. सम्राट अकबर के दरबारी कव...हौं सेवक ...हज़रत अल&...
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: June 2009
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Monday, June 29, 2009. ले जाता है ऐ दिल मुझे नाहक़ तू कहाँ और. ले जाता है ऐ दिल मुझे नाहक़ तू कहाँ और. गोकुल के सिवा कोई नहीं जाये-अमां और. जमुना का ये तट और ये मुरली के तराने,. जी चाता है उम्र गुज़र जाये यहाँ और. ये इश्क के इज़हार की आज़ादी कहाँ है. Posted by युग-विमर्श. Sunday, June 28, 2009. उसकी शिक्ष&#...Labels: ग़...
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: August 2009
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Saturday, August 29, 2009. हमें है जाना जहाँ तक ये रास्ते जायें. हमें है जाना जहाँ तक ये रास्ते जायें।. इरादे बीच में कैसे जवाब दे जायें।।. घ्ररौन्दे हम तो बनाते रहेंगे साहिल पर ,. बला से मौजें इन्हें अपने साथ ले जायें ॥. ज़माल उसका वहाँ और भी नुमायाँ है,. Posted by युग-विमर्श. Wednesday, August 26, 2009. Labels: ग़...
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: September 2009
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Wednesday, September 23, 2009. परिन्दे पहले के जैसी उड़ान भरते नहीं ।. परिन्दे पहले के जैसी उड़ान भरते नहीं ।. के उनके उड़ने से अब आसमान भरते नहीं ॥. वो ख़्वाब क्या थे जिन्हें कोई नाम दे न सका,. इबारतों का मज़ा सादगी में होता है,. शऊर करती है बेदार हक़ शनास नज़र,. Posted by युग-विमर्श. Tuesday, September 22, 2009. वहì...
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: October 2009
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Thursday, October 29, 2009. न कोई क़िस्सा है अपना न दास्ताँ अपनी ।. न कोई क़िस्सा है अपना न दास्ताँ अपनी ।. के अब तो भूल चुकी है मुझे ज़ुबाँ अपनी॥. हुई थी मेरी कभी हुस्ने-लामकाँ को तलब,. जहाँ दिखायी थीं उसने निशानियाँ अपनी॥. Posted by युग-विमर्श. Tuesday, October 13, 2009. Posted by युग-विमर्श. Labels: ग़ज़ल /...मुस...
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: सियासत की अंधी सुरंगों में रोशनी के टूटते-बिखरते ख़्वाब : नासिरा
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Wednesday, July 13, 2011. सियासत की अंधी सुरंगों में रोशनी के टूटते-बिखरते ख़्वाब : नासिरा शर्मा की कहानियाँ [3]. सियासत की अंधी सुरंगों में रोशनी के टूटते-बिखरते ख़्वाब. क्यों हमें मध्ययुगीन अंधेरे में ढकेल रहे हो? 8221; ताहिर ये ख़बर सुनकर सन्न रह गये । “कमाल है! किताब घर , दिल्ली 1994. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: December 2009
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Thursday, December 31, 2009. कैसी चहल-पहल सी है ख़ाली मकान में. कैसी चहल-पहल सी है ख़ाली मकान में ।. किस-किस की गूंजती है सदा सायबान में॥. मसरूफ़ अपनी जान बचाने में हैं सभी,. लेता नहीं कोई भी किसी को अमान में ॥. तालीम तो है तमग़ए आराइशे-ख़याल,. Posted by युग-विमर्श. Wednesday, December 30, 2009. मैं ने व...Labels: हि...
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: April 2010
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Friday, April 30, 2010. देखो ये बातें सच्ची हैं. देखो ये बातें सच्ची हैं।. तहज़ीबें मिटती रहती हैं॥. सूरज तो बेहिस होता है,. ख़्वाब ज़मीनें ही बुनती हैं॥. चाँद की मिटटी छू कर देखो,. उसकी आँखें भी गीली हैं॥. मुझको कोई ख़ौफ़ नहीं है,. माँ की मिटटी के बटुए में,. एक समन्दर मुझ में भी है,. Posted by युग-विमर्श. लफ़्...
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: June 2010
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Wednesday, June 30, 2010. ज़बानें तितलियोँ की आज भी समझता हूं. ज़बानें तितलियोँ की आज भी समझता हूं।. गुलों की उनसे है क्यों बेरुख़ी समझता हूं॥. मैं अब भी बादलों से हमकलाम रहता हूं,. के उनके दर्द की हर बेकली समझता हूं॥. मिठास उसके लबों में शहद सी होती है,. Posted by युग-विमर्श. Sunday, June 27, 2010. Saturday, June 26, 2010.
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: January 2010
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युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش. श्रेष्ठ साहित्य आम आदमी तक पहुंचाना ही युग-विमर्श का लक्ष्य है जिसमें आप भी शरीक हैं। आपका सहयोग, आपके सुझाव, आपकी जिज्ञासाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण है. Saturday, January 30, 2010. वो हब्से-दवामी है कहीं आज भी मौजूद. वो हब्से-दवामी है कहीं आज भी मौजूद ।. एहसासे-ग़ुलामी है कहीं आज भी मौजूद्॥. मसदूद हैं सब रास्ते इन्साँ की बक़ा के,. अफ़कार में ख़ामी है कहीं आज भी मौजूद्॥. अमवाजे-समन्दर में नहीं कोई तलातुम,. Posted by युग-विमर्श. Friday, January 29, 2010. Labels: ग़ज&#...