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सुरेश यादव सृजन: July 2011
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सुरेश यादव सृजन. मेरी चुनी हुई रचनायें. बुधवार, 27 जुलाई 2011. अपनी बात. महज़ दो कवितायें दे कर आप की संवेदना का साझीदार बनने हेतु प्रयास कर रहा हूँ…आप की प्रतिक्रियाएं मुझमें समझ और विवेक पैदा करेंगी, धन्यवाद।. सुरेश यादव. दिल में बच्चे. गलियों में गुमसुम बच्चे. जब - खुलकर हँसते हैं. फूलों से भर जाती खुशबू. रंग फूलों में खिलते हैं. आँगन में. जब जब शोर मचाती. इन बच्चों की किलकारी. चटख रंगों की. फागुन में जैसे. मौसम की पिचकारी. हँसते - गाते धूम मचाते. बैर-भाव सब भूल भालकर. इस घर की तब -. इस घर की. सम्...
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सुरेश यादव सृजन: November 2013
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सुरेश यादव सृजन. मेरी चुनी हुई रचनायें. शनिवार, 16 नवंबर 2013. मित्रो. प्रस्तुत. पुरानी. कविताएं. लगीं।. उन्हें. प्रस्तुत. कर रहा हूँ।. प्रतिक्रिया. उत्सुकता. रहेगी।. आँखों. धागों. स्वीकृति. प्रदर्शनी. जिन्होंने. तालियां. खिलौना. खिलौना. खिलौना. हूँ मैं -. चिड़ियाँ. न्हें. शुभचिंतकों. चर्चाओं. पालें. सांपो. बावले।. प्रस्तुतकर्ता. सुरेश यादव. 3 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: सुरेश यादव की कविताएं. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). रहेंगे।. सुरेश यादव. पहला स...
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वातायन: November 2012
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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. शुक्रवार, 2 नवंबर 2012. वातायन-नवंबर,२०१२. हम और हमारा समय. विकास के रथ में भ्रष्टाचार का पहिया. रूपसिंह चन्देल. सभी एक-मत हैं– एक जुट हैं. ऎसा पहली बार हो रहा है और इसलिए पहली बार. हो रहा है क्योंकि किसी व्यक्ति ने. एक साथ सभी को बेनकाब कर आम जनता को उनके असली चेहरे दिखाए हैं. 2404; अपने एक इंटरव्यू में. डेड लाइन. प्रेम प्रकाश. पंजाबी से अनुवाद : सुभाष नीरव. एसपी. आनन्द. गन में गेंद से खेलनेवाला. और जो भी सब्ज़ी बनती. हो सकता है. ताया की प&#...पहोवì...
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वातायन: December 2013
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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. मंगलवार, 3 दिसंबर 2013. वातायन-दिसम्बर,२०१३. हम और हमारा समय. लड़कियां और सामन्ती सोच. रूपसिंह चन्देल. से जुड़े वे तथ्य. थे जिन्हें तलवार दम्पति ने छुपाए या पुलिस को उनके संबन्ध में भटकाने का प्रयास किए. विद्वान जज ने दोनों को उम्रकैद. की सजा के छब्बीस आधार. कारणों से जो त्यधिक व्यस्त रहते थे…सूत्रों के. प्राण शर्मा की तीन लघु कथाएँ. अहिंसावादी. लिए उसके आगे कर देना चाहिए।. बिच्छु है। मार गिराइये। `. मुझ अहिंसावादी को क...बिच्छु अकस्म...मारता ह&#...सोन...
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रचना समय: February 2013
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सोमवार, 4 फ़रवरी 2013. पुस्तक चर्चा. डॉ. ज्योतिष जोशी की आलोचना पुस्तक. उपन्यास की समकालीनता. 8217;पाथर टीला’. के विषय में डॉ. जोशी के विचार. देखे, जिये और महसूस किये गये समय से साक्षात्कार. डॉ. ज्योतिष जोशी. 8217;रुकेगा नहीं सवेरा’ और ’रमला बहू’. के बाद चन्देल ने जिस ’पाथरटीला’. उसका वह चरित्र है कि वह दूसरे के अधिकारों का उपभोग करता है और तनिक भी विचलित नहीं. 8217;उपन्यास की समकालीनता’. लेखक – डॉ. ज्योतिष जोशी. भारतीय ज्ञानपीठ,. नयी दिल्ली-११० ००३. पृ.२४०, मूल्य: २००/-. आवरण : राजकमल. गलिया...तोल...
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रचना समय: May 2012
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शुक्रवार, 11 मई 2012. सआदत हसन मंटो के जन्म दिवस पर विशेष. सआदत हसन मंटो. सआदत हसन मंटो के सियाह-हाशिये पर वरिष्ठ कथाकार और कवि बलराम अग्रवाल का आलेख और उनके द्वारा प्रस्तुत मंटो की पांच लघुकथाएं. सियाह-क़लम मंटो और सियाह-हाशिये. बलराम अग्रवाल. धरती का हर आदमी अपने आप में कुछ खूबियों और कुछ खराबियों से. चालित है। गोस्वामी तुलसीदास के शब्दों में. 8212;‘ सुमति. कुमति सब कें उर रहहीं।. 8216; सियाह हाशिये. 8216; हाशिया आराई. 8217; शीर्षक से. 8216; सियाह हाशिए. पड़ी कि. 8216; मुझे. 8216; अदबे-जदीद. 8220; ज...
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रचना समय: March 2013
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गुरुवार, 21 मार्च 2013. मकान नम्बर एक सौ निन्यानवे. रूपसिंह चन्देल. में वह सबसे आगे था. सिल्क के क्रीम कलर कुर्ता-पायजामा पर उसने काले रंग की जैकेट. पहन रखी थी. 8216; दिसम्बर. के अंतिम सप्ताह की कड़ाके की ठंड और सत्तर की उम्र. 8212;’ यह अंदर ही अंदर ठुठुर रहा होगा. 8217;— उसे देखकर. नितिन ने सोचा. कॉलेज के दिनों में, अब से पच्चीस वर्ष पहले, वह इतनी कड़कती ठंड में. लेकिन इतनी सफेद. सिर के. भी अधपके थे. 8212; आज जैसे दूधिया नहीं. आगे बढ़ता हुआ चीखा. 8220; वी वाण्ट- -. युवाओं. 8220; जस्टिस. वह चीखा. संभव...
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सुरेश यादव सृजन: December 2012
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सुरेश यादव सृजन. मेरी चुनी हुई रचनायें. रविवार, 2 दिसंबर 2012. अपनी बात. मित्रो. लम्बे अंतराल के बाद आप के सामने अपनी नई पुरानी तीन कवितायेँ. लेकर फिर प्रस्तुत हूँ. आशा है. आप भूले नहीं होंगे. इस बीच कविताओं को. गोष्ठियों और कवि सम्मेलनों के माध्यम से अपने चाहने वालों तक पहुंचता. तो रहा हूँ परन्तु अपने इस ब्लॉग के व्यापक मित्र मंच से इन दिनों अवश्य. भागीदारी का आकांक्षी भी हूँ. सुरेश यादव. जीवन पानी का बुलबुला है. आदमी का अगर. पानी का बुलबुला है. फिर क्यों. अवसादों का गहरा. आदमी का. रे कवि! विपद...
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सुरेश यादव सृजन: April 2011
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सुरेश यादव सृजन. मेरी चुनी हुई रचनायें. रविवार, 24 अप्रैल 2011. अपनी बा. मित्रो बहुत. आप के सामने ला रहा हूँ. सभी पुरानी हैं. चुनाव का आधार…आप तक पहुँचने की प्रबल इच्छा मात्र है. इस वार चाहता हूँ. कुछ न कहूँ जो कुछ कहना है कवितायेँ कहें। आप की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी…. सुरेश यादव. किसका है. नंगे पांव. भटकने को मजबूर. ये बच्चे भी. सिगरेटें. रास्तों पर फेंकने के आदी. ये लोग भी इसी शहर के हैं. ये शहर किसका है. जब-जब मेरा मन पूछता है. जलती सिग. रेट पर पड़ता है. कुदरत का. धूप की तपन खु. 6 टिप...