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किस्सा-कहानी

किस्सा-कहानी. बुधवार, 29 मई 2013. सब तुम्हारे कारण हुआ पापा. How will you calculate the atomic mass of chlorine? नहीं जानते? A bus starting from rest moves with a uniform acceleration of 0.1ms-2 for 2 minutes , find the speed acquired , and the distance travelled.". जल्दी सॉल्व करो इसे.". क्या हुआ? नहीं बनता? न कैमिस्ट्री न फिजिक्स! ज़रुरत से ज्यादा तेज़ आवाज़ हो गयी थी अविनाश की. पढता रहता है? अविनाश भी कहाँ डांटना चाहता है? औसत बुद्धि का था अविनाश. बहु...राहत की सांस लì...सब नौकरी ...मन कì...

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किस्सा-कहानी | wwwvandanaadubey.blogspot.com Reviews
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किस्सा-कहानी. बुधवार, 29 मई 2013. सब तुम्हारे कारण हुआ पापा. How will you calculate the atomic mass of chlorine? नहीं जानते? A bus starting from rest moves with a uniform acceleration of 0.1ms-2 for 2 minutes , find the speed acquired , and the distance travelled.. जल्दी सॉल्व करो इसे.. क्या हुआ? नहीं बनता? न कैमिस्ट्री न फिजिक्स! ज़रुरत से ज्यादा तेज़ आवाज़ हो गयी थी अविनाश की. पढता रहता है? अविनाश भी कहाँ डांटना चाहता है? औसत बुद्धि का था अविनाश. बह&#2369...राहत की सांस ल&#236...सब नौकरी ...मन क&#236...
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1 हद है
2 अच्छा
3 दरगाह
4 समंदर
5 शहरयार
6 बहुत
7 पापा
8 ठहाके
9 सुनाई
10 थकान
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हद है,अच्छा,दरगाह,समंदर,शहरयार,बहुत,पापा,ठहाके,सुनाई,थकान,बावजूद,भाभी,किचन,व्यस्त,दिखाई,सबके,खुशी,देखने,लायक़,कहूं,मेरा,बेहद,हल्का,पिछले,मेरे,विवाह,लेकर,इतने,परेशान,उनकी,हालत,देखते,मुझे,लगता,कैसे,कहीं,जाये,अन्यथा,शादी,मेरी,इच्छा,सुनील,झोली,बदले,सारी,लताड़
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किस्सा-कहानी | wwwvandanaadubey.blogspot.com Reviews

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किस्सा-कहानी. बुधवार, 29 मई 2013. सब तुम्हारे कारण हुआ पापा. How will you calculate the atomic mass of chlorine? नहीं जानते? A bus starting from rest moves with a uniform acceleration of 0.1ms-2 for 2 minutes , find the speed acquired , and the distance travelled.". जल्दी सॉल्व करो इसे.". क्या हुआ? नहीं बनता? न कैमिस्ट्री न फिजिक्स! ज़रुरत से ज्यादा तेज़ आवाज़ हो गयी थी अविनाश की. पढता रहता है? अविनाश भी कहाँ डांटना चाहता है? औसत बुद्धि का था अविनाश. बह&#2369...राहत की सांस ल&#236...सब नौकरी ...मन क&#236...

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किस्सा-कहानी: July 2012

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किस्सा-कहानी. सोमवार, 2 जुलाई 2012. कोई तो शर्मिंदा हो. कोई मुम्बई जाये और हाज़ी अली की. पर ना जाये. ऐसा हो सकता है क्या? हम भी पूरे भक्ति भाव से दरगाह पर गये।. यह तस्वीर तो मुझे मजबूरन उतारनी पडी, कम से कम कुछ लोग तो शर्मिन्दा हो सकें ,अपने द्वारा फैलाई गई इस गन्दगी को देखकर. प्रस्तुतकर्ता. वन्दना अवस्थी दुबे. 33 टिप्‍पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. ब्लॉग आर्काइव.

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किस्सा-कहानी: August 2011

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किस्सा-कहानी. मंगलवार, 16 अगस्त 2011. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान. नमस्ते अम्मां जी". अरे कमला! खुद को समेटती हुई कमला, सुधा जी की बग़ल से होती हुई सामने आई और पूरे श्रद्धाभाव से उनकी चरण-वंदना की. आज इस तरफ़ कैसे? मामी के हियां आई थी, उनकी बिटिया का गौना रहा. हम तो पहलेई सोच लिये थे कि लौटते बखत आपसे मिलनई है. ". अरे यहां बैठो न! अरे नीचे कहां? सुधा जी ने भी निश्चिंत निश्वास छोड़ा. अरे रे रे. फिर चोट-वोट तो नहीं लगी? कैसे गिर गये? अब का बताई अम्मां जी.". उतने से नाश्त&#237...बची हुई म...रमा...

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किस्सा-कहानी: March 2013

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किस्सा-कहानी. शनिवार, 2 मार्च 2013. मेरी पसन्द. इक बार कहो तुम मेरी हो. हम घूम चुके बस्ती-वन में. इक आस का फाँस लिए मन में. कोई साजन हो, कोई प्यारा हो. कोई दीपक हो, कोई तारा हो. जब जीवन-रात अंधेरी हो. इक बार कहो तुम मेरी हो. जब सावन-बादल छाए हों. जब फागुन फूल खिलाए हों. जब चंदा रूप लुटाता हो. जब सूरज धूप नहाता हो. या शाम ने बस्ती घेरी हो. इक बार कहो तुम मेरी हो. हाँ दिल का दामन फैला है. क्यों गोरी का दिल मैला है. हम कब तक पीत के धोखे में. तुम कब तक दूर झरोखे में. 0- इब्ने इंशा. नई पोस्ट.

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किस्सा-कहानी: May 2011

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किस्सा-कहानी. शुक्रवार, 13 मई 2011. मेरी पसंद. पोस्ट पर पढ़ी थी. बहुत अच्छी लगी थी. पिछले रविवार दैनिक भास्कर में उनके जन्मशती समारोहों की. रपट पढ़ी, तो ये कविता फिर याद आ गई. लगा, अब इसे आप सब के साथ पढ़ा जाए-. जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है ।. सहसा भूली याद तुम्हारी उर में आग लगा जाती है. विरह-ताप भी मधुर मिलन के सोये मेघ जगा जाती है,. मुझको आग और पानी में रहने का अभ्यास बहुत है. अगणित शलभों के दल के दल एक ज्योति पर जल-जल मरते. बलवीर सिंह "रंग". इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. मुख&#23...

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किस्सा-कहानी: सब तुम्हारे कारण हुआ पापा............

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किस्सा-कहानी. बुधवार, 29 मई 2013. सब तुम्हारे कारण हुआ पापा. How will you calculate the atomic mass of chlorine? नहीं जानते? A bus starting from rest moves with a uniform acceleration of 0.1ms-2 for 2 minutes , find the speed acquired , and the distance travelled.". जल्दी सॉल्व करो इसे.". क्या हुआ? नहीं बनता? न कैमिस्ट्री न फिजिक्स! ज़रुरत से ज्यादा तेज़ आवाज़ हो गयी थी अविनाश की. पढता रहता है? अविनाश भी कहाँ डांटना चाहता है? औसत बुद्धि का था अविनाश. बह&#2369...राहत की सांस ल&#236...सब नौकरी ...मन क&#236...

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मन का पाखी: January 2012

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मन का पाखी. No posts. Show all posts. No posts. Show all posts. Subscribe to: Posts (Atom). स्वाभिमान टाइम्स में प्रकाशित आलेख ". View my complete profile. उड़न तश्तरी . न दैन्यं न पलायनम्. Dr Smt. Ajit Gupta. मेरी भावनायें. Aradhana-आराधना का ब्लॉग. किस्सा-कहानी. नुक्कड़. अंतर्मंथन. वीर बहुटी. अपनी बात. पाल ले इक रोग नादां. मेरी बातें. कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se *. देशनामा. शब्दों का सफर. अपनी, उनकी, सबकी बातें. नन्ही परी. सफ़ेद घर. ज्ञानवाणी. घुघूतीबासूती. बना रहे बनारस. मानसिक हलचल.

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मन का पाखी: September 2011

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मन का पाखी. Sunday, September 25, 2011. दो वर्ष पूरा होने की ख़ुशी ज्यादा या गम. और मैने ". हाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी. लिख डाली. मैने समीर जी. से वादा भी किया था.कि डा. समीर. सब जैसे मेरे जाने-पहचाने हैं. प्रसंगवश ये भी बता दूँ कि ये 'नाव्या'. नाम मैने कहाँ से लिया था? मैने कहीं ये पढ़ा और ये नाव्या नाम तभी भा गया. नाम ऐसे ही चुना था :). हाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी. एक पोस्ट. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile. उड़न तश्तरी . Dr Smt. Ajit Gupta.

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जीवन धारा: April 2009

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जीवन धारा. Wednesday, April 29, 2009. एक सपने के टूट जाने से जिंदगी ख़त्म नही हो जाती . जीवन एक संगिनी की तरह है । हमेशा आपके साथ । राह में हर मोड़ पर कदम मिलाते हुए ।. कुछ ख़त्म हो गया तो क्या हुआ । बहुत कुछ अभी बाकी है , मेरे दोस्त .कहाँ खो गए ।. एक सपने के टूट जाने से जिंदगी ख़त्म नही हो जाती । बहुत से सपने अभी भी बुने. जा सकते है । टूटने दो यार एक सपने को .वह टूटने के लिए ही था ।. जम कर करो ,इन्तजार ।. Posted by mark rai. Links to this post. Labels: जिंदगी. Tuesday, April 14, 2009. साथी . खुल&#...

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मुक्ताकाश....: July 2013

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मुक्ताकाश. बुधवार, 10 जुलाई 2013. कैसे इंसान हो गए हैं हम. अब अपने आप से परेशान हो गए हैं हम,. आदमी थे अब तलक, शैतान हो गए हैं हम! उन्हें जम्हूरियत ने सिखा दी ये अदा भी-. दीदें फाड़कर बताते हैं, महान हो गए हैं हम! ख़ुशी हो, गम हो या खौफनाक मंज़र हो,. सुर्खियाँ बटोरने को हैवान हो गए हैं हम! सियासत उनके पांवों की हाँ, बन है बेड़ी,. कभी बा-ईमान थे, बे-ईमान हो गए हैं हम! रो पड़ी आँखें मेरी, उजड़े चमन को देखकर,. और आँखें मूंदकर, भगवान् हो गए हैं हम! प्रस्तुतकर्ता. आनन्द वर्धन ओझा. नई पोस्ट. 6 वर्ष पहले. बालग&...

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मुक्ताकाश....: December 2012

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मुक्ताकाश. मंगलवार, 18 दिसंबर 2012. यादों के आइने में कवि बच्चन. समापन क़िस्त]. बाद के वर्षों में पत्राचार और संवाद शिथिल होता गया। बच्चनजी अस्वस्थ रहने लगे थे और पढ़ना-लिखना उनके लिए कठिनतर होता गया था। दिन पर दिन बीतते रहे। . वह 6 नवम्बर 1995 की सुबह थी। पिताजी मृत्यु-शय्या पर थे- शरीर की नितांत अक्षमता की दशा में- हतचेत से! भाभी इलाहाबादी में बोलीं- "ई तकलीफों कौन रही! हम इधर से जात रही तो सोचा तोसें मिल लेई! प्रस्तुतकर्ता. आनन्द वर्धन ओझा. 10 टिप्‍पणियां:. नवीं क़िस्त]. और उन्हें प&...2 टिप&#23...

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जीवन धारा: October 2009

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जीवन धारा. Saturday, October 24, 2009. छठ पूजा और बचपन. Posted by mark rai. Links to this post. Labels: छठ पूजा. Subscribe to: Posts (Atom). छठ पूजा और बचपन. स्वप्न मेरे. मेरी भावनायें. पूरी उम्र समझौते में. किस्सा-कहानी. तुलसी तहाँ न जाइये…. अपनी बात. पुराने कालखंड की नई कहानियां: प्रेम गली अति सांकरी. जीवन के रंग . Bing Advertising Free Credit $112. ये दुनिया है. मोबाइल ऑपरेटर और आप? अपनी अपनी डगर. फेफड़ों को ३ दिन में साफ़ करने के उपाय. हरकीरत ' हीर'. तू सिर्फ इंसान है. संवेदनहीन. छठ पूजा.

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जीवन धारा: February 2011

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जीवन धारा. Wednesday, February 16, 2011. सबकुछ याद है . मुझे अपने घर का आँगन व सामने की गली याद आती है ,. जहाँ कभी , किसी जमाने में मेले लगते थे ।. वो खिलौने याद आते है ,जो कभी बिका करते थे ।. छोटा सा घर , पर बहुत खुबसूरत ,. शाम का समय और छत पर टहलना ,. सबकुछ याद है ।. कुछ मिटटी और कुछ ईंट की वो इमारत ,. वो रास्ते जिनपर कभी दौडा करते थे ,. सबकुछ याद है ।. गंवई गाँव के लोग कितने भले लगते थे ,. सीधा सपाट जीवन , कही मिलावट नही ,. सबकुछ याद है ।. गाय की दही न सही , मट्ठे. Posted by mark rai. धन आनंद क&...

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जीवन धारा: July 2009

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जीवन धारा. Saturday, July 4, 2009. हमारा समाज अब आखिरी साँसे ले रहा है. Posted by mark rai. Links to this post. Wednesday, July 1, 2009. लड्डू . लड्डू ! पहले सोचता था कैसा नाम है .लड्डू! लड्डू ने तो मुझे बिल्कुल बदल दिया है । अब तो सपनो में भी . मन ही मन कहता हूँ . मेरे लड्डू तू तो बदल गया रे .लड्डू शब्द सुनने के लिए बेचैन रहता हूँ .कास! जिंदगी में ऐसे ही मिठास भरते रहना . Posted by mark rai. Links to this post. Labels: जिंदगी. Subscribe to: Posts (Atom). लड्डू . स्वप्न मेरे. अपनी बात. छठ पूजा.

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जीवन धारा. Wednesday, October 17, 2012. जिज्ञासा(JIGYASA) : देवकीनन्‍दन खत्री द्वारा लिखित चन्‍द्रकान्‍ता को ह. जिज्ञासा(JIGYASA) : देवकीनन्‍दन खत्री द्वारा लिखित चन्‍द्रकान्‍ता को ह. Posted by mark rai. ब्लॉग बुलेटिन. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, भूली-बिसरी सी गलियाँ - 10 “. मे आप के ब्लॉग को भी शामिल किया गया है . सादर आभार! 5:38 AM, September 28, 2016. Subscribe to: Post Comments (Atom). स्वप्न मेरे. मेरी भावनायें. पूरी उम्र समझौते में. किस्सा-कहानी. अपनी बात. जीवन के रंग . अपनी अपनी डगर.

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El lado Sensual de los Vampiros

El lado Sensual de los Vampiros. Viernes, 13 de agosto de 2010. Son muy atractivo, tienen un perfecto glamour , además son muy educados; Los vampiros no entran a tu casa si no los invitas. Te hipnotizan con la mirada, de esta forma tu inconscientemente le invita a pasar. Enviar por correo electrónico. Sensualidad de los Vampiros. Digna de un vampiro,. La Vampireza coquetean. Puede reconocérsela desde el momento en que aparece. Su vestimenta es siempre llamativa. Quizás esté pasada de moda y n...La sensua...

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किस्सा-कहानी. रविवार, 6 नवंबर 2011. विरुद्ध. अपने दूसरे ब्लॉग ". अपनी बात. दिनों. चेहरों. वर्षों. चिंतित. रिश्ता. मांगने. शब्दों. वैवाहिक. रिश्ता. विजातीय. उन्होंने. सम्बन्धित. जानकारियां. व्यवस्थित. सोफ़ों. क्रॉकरी. जिन्हें. इस्तेमाल. निकाले. उत्साहित. लिखेंगे. सिखाया. म्यूज़. डिग्री. रियाज़. तानपूरा. इलाहाबाद. उन्होंने. औपचारिकता. प्रतिष्ठा. मुताबिक. फेंकूं. खिलखिलाऊं. मुस्कुराते. आमंत्रित. आमंत्रित. साड़ी. पार्टी. इन्तज़ाम. परिचितों. दा को. हूं। सच. शशि दा. उन्होंने. रागमाला. लोगों. 2404; हॉल. और ज&#2...

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अपनी बात. शुक्रवार, 19 जून 2015. तमाम रंग समेटे है- कसाब.गांधी@यरवदा.in. गांधी॒. किताबों. अन्तर्जाल. शीर्षकों. राष्ट्रीय. अन्तर्राष्ट्रीय. पुरस्कारों. सम्मानित. प्रकाशित. संग्रह में कुल ग्यारह कहानियां संग्रहीत हैं. पहली कहानी है. गांधी॒. इस कहानी की अलग ही गढन है. कहानी में कसाब और गांधी. जो कि दोनों ही समान कैदी हैं. किस तरह अपने. अपने काल विशेष की घटनाओं और उनके तमाम पहलुओं पर चर्चा करते हैं. पढना कौतुक से भर देता है. 8220; मुख्यमंत्री नाराज़ थे. 8230;” कहानी. 34 पेज़ की कहानी. 8220; चिरई. बाल&#23...