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श्रोता बिरादरी: मेरी उमर से लम्बी हो गईं,बैरन रात जुदाई की
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2405;यूनुस खान की - रेडियोवाणी॥. 2405;सागर नाहर की गीतों की महफिल॥. 2405;संजय पटेल की सुरपेटी॥. लता स्वर उत्सव. श्रोता बिरादरी. यूनुस खान, संजय पटेल, सागर नाहर. Translate this Blog in English. कुछ संगीतमय चिट्ठे. जोगलिखी संजय पटेल की. रेडियोवाणी. रेडियोनामा. गीतों की महफिल. एक शाम मेरे नाम. पारुल की सरगम. किस से कहें. एक डॉक्टर की डायरी. कहाँ से पधारे आप. वाद- संवाद. दोस्तों की दुनियाँ. Tuesday, September 27, 2011. लता तिरासी और तिरासी अमर गीत:. फ़िल्म : सोसायटी. वर्ष : १९५५. September 28, 2011 at 8:07 AM.
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गीतों की महफिल: June 2010
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Thursday 24 June 2010. दिल तोड़ने वाले देख के चल हम भी तो पड़े हैं राहों में. आज सुबह अपने खज़ाने में से. इकबाल बानो. गज़ल और गायिका के लिए कुछ भी नहीं कहा जायेगा, बस सुनिये और आनन्द लीजिये।. उल्फ़त की नई मंज़िल को चला. तू बाहों में बाहें डाल के. दिल तोड़ने वाले देख के चल. हम भी तो पड़े हैं राहो में. क्या क्या ना जफ़ायें दिल पे सही. पर तुम से कोई शिकवा न किया. इस जुर्म को भी शामिल कर लो. मेरे मासूम गुनाहों में. जहाँ चांदनी रातों में तुम ने. खुद हमसे किया इकरार ए वफ़ा. शायर:कतील शिफ़ाई. इकबाल बानो. महफिल क...
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गीतों की महफिल: January 2013
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Thursday 31 January 2013. भूखा हमें जगाता मगर कभी भूखा हमें सुलाता नहीं: सी. रामचन्द्र का एक मधुर गीत. लता जी और सी रामचन्द्र की जोड़ी के लिए पंकज राग अपनी पुस्तक धुनों की यात्रा में लिखते हैं।. ओ लेने वाले उस देने वाले के दाता के गीत क्यूं गाता नहीं. भूखा हमें वो जगाता मगर, कभी भूखा हमें वो सुलाता नहीं. उस दाता के गीत क्यूं गाता नहीं. ओ लेने वाले उस देने वाले दाता के गीत क्यूं गाता नहीं-२. हम अपने अपने करतब करें पर फल तो उसी के हाथ है. जो कुछ. Posted by सागर नाहर. लता जी. लता मंगेशकर. भूखा हम...धन्...
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गीतों की महफिल: August 2010
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Friday 27 August 2010. कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिये है. अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें. कुछ दर्द कलेजे से लगने के लिये है. आईये सुनते हैं।. अशआर मेरे यूं तो ज़माने के लिये है. कुछ शेर फ़कत उनको सुनने के लिये है. अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें. कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिये है. आँखो में जो भर लोगे तो काँटो से चुभेंगे. ये ख्वाब तो पलकों पे सजाने के लिये है. देखुं जो तेरे हाथों को लगता है तेरे हाथ. मन्दिर में फ़कत दीप जलने के लिये है. Posted by सागर नाहर. श्रेणी khaiyam.
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गीतों की महफिल: December 2012
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Sunday 23 December 2012. लखि बाबुल मोरे काहे को दीन्हीं बिदेस- मुकेश का एक अनसुना और अदभुद गीत. पंकज राग लिखित पुस्तक (ओनलाईन) "धुनों की यात्रा" को उल्टे सीधे क्रम में पढ़ रहा हूँ, जिस दिन जो पृ ष ् ठ सामने आ गया उसी को प ढ़ने लगता हू ँ।. कल अनिल विश्वास को पढ़ा आज गुलाम हैदर आदि को अभी कुछ देर पहले. स्नेहल. पंकज राग "धुनों की यात्रा" में लिखते हैं. आज यह गीत मैं आप सबके लिए यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ।. भाई को दीन्हों महल- दुमहला. मोहे दीन्हों परदेस. जो रैन बसे उड़ जाए हो. Posted by सागर नाहर.
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श्रोता बिरादरी: रोशन-लता की जुगलबंदी का बेजोड़ दस्तावेज़
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2405;यूनुस खान की - रेडियोवाणी॥. 2405;सागर नाहर की गीतों की महफिल॥. 2405;संजय पटेल की सुरपेटी॥. लता स्वर उत्सव. श्रोता बिरादरी. यूनुस खान, संजय पटेल, सागर नाहर. Translate this Blog in English. कुछ संगीतमय चिट्ठे. जोगलिखी संजय पटेल की. रेडियोवाणी. रेडियोनामा. गीतों की महफिल. एक शाम मेरे नाम. पारुल की सरगम. किस से कहें. एक डॉक्टर की डायरी. कहाँ से पधारे आप. वाद- संवाद. दोस्तों की दुनियाँ. Wednesday, September 21, 2011. अजातशत्रु. दर्दे दिल तू ही बता. फिल्म : जश्न - 1955. सौजन्य से. संजय पटेल,. बिर&#...
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श्रोता बिरादरी: June 2008
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2405;यूनुस खान की - रेडियोवाणी॥. 2405;सागर नाहर की गीतों की महफिल॥. 2405;संजय पटेल की सुरपेटी॥. लता स्वर उत्सव. श्रोता बिरादरी. यूनुस खान, संजय पटेल, सागर नाहर. Translate this Blog in English. कुछ संगीतमय चिट्ठे. जोगलिखी संजय पटेल की. रेडियोवाणी. रेडियोनामा. गीतों की महफिल. एक शाम मेरे नाम. पारुल की सरगम. किस से कहें. एक डॉक्टर की डायरी. कहाँ से पधारे आप. वाद- संवाद. दोस्तों की दुनियाँ. Saturday, June 28, 2008. हातिमताई) जरा सामने तो आओ छलिये. क्या बात है! कहीं और जा जा जा ...देख वो सू...बावरí...
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श्रोता बिरादरी: July 2008
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2405;यूनुस खान की - रेडियोवाणी॥. 2405;सागर नाहर की गीतों की महफिल॥. 2405;संजय पटेल की सुरपेटी॥. लता स्वर उत्सव. श्रोता बिरादरी. यूनुस खान, संजय पटेल, सागर नाहर. Translate this Blog in English. कुछ संगीतमय चिट्ठे. जोगलिखी संजय पटेल की. रेडियोवाणी. रेडियोनामा. गीतों की महफिल. एक शाम मेरे नाम. पारुल की सरगम. किस से कहें. एक डॉक्टर की डायरी. कहाँ से पधारे आप. वाद- संवाद. दोस्तों की दुनियाँ. Thursday, July 31, 2008. फ़िल्म शराबी. मुझे ले चलो, आज फिर उस गली में. मुझे ले चलो. वहाँ आज भी एक च...मोहबî...
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गीतों की महफिल: October 2012
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Friday 5 October 2012. जा रे चंद्र: लताजी का एक और मधुर गीत. गीतों. गीतों. रेडियो. श्रेणी. प्रस्तुत. नरेन्द्र. फड़के द्वारा. संगीतबद्ध. बाँधी. अन्जाने. श्रेणी. शब्दों. फिल्मांकन. सुलोचना. शब्दों. गुनगुनाते. हैं।. जायेंगे. बृन्दावन. जायेंगे. क्यूँ. पुकारे. जायेंगे. प्यारे. जायेंगे. Song Title: Ja Re Chandra Ja re. Film : Sajani 1956. Lyric: Pt. Narendra Sharma. Singer : Lata mangeshkar. Posted by सागर नाहर. 5 टिप्पणियाँ. श्रेणी Lata Ji. सुधीर फड़के. इन्हें भी सुने. Subscribe to: Posts (Atom).